poetry

राहें

कोहरे की धुन्द्लाहत में
शीत की कपकपाहट में
रासतूं पर राहें ढूँढ़ते हैं हम
गाडी की headlight जलाये

सूचा तो बहुत था, लेकिन
जब तक लिख पाए
भूल गए थे सोच को

फिर मिलने की चाह में
इन्तेज़ार में
रासतूं पर राहें ढूँढ़ते हैं हम
गाडी की headlight जलाये

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